🌙 चांदनी परी की साधना कथा 🌙
(एक रहस्यमयी और दिव्य लंबी कहानी)
बहुत समय पहले, चंद्रलोक के एक उज्ज्वल कोने में “चांदनी परी” का निवास था। वह परियों में सबसे कोमल, सबसे शांत और सबसे रहस्यमयी थी। उसकी आंखों में चांद की शीतल रोशनी थी और उसके वस्त्र चांदनी की किरणों से बुने हुए लगते थे। वह हर पूर्णिमा की रात पृथ्वी पर उतरती और उन लोगों को आशीर्वाद देती जो पवित्र मन से उसकी साधना करते।
🌕 आरंभ की कथा
एक प्राचीन ऋषि थे — देवराज मुनी, जिन्होंने अपने जीवन को आत्मज्ञान में समर्पित किया था। एक रात उन्होंने ध्यान में देखा कि एक दिव्य आभा उनके सामने उतरी। वह चांदनी परी थी। उसने कहा,
“हे मुनी! जो व्यक्ति सत्य, शांति और प्रेम के पथ पर चलता है, मैं उसकी साधना से प्रसन्न होकर उसे चांद प्रकाश सिद्धि देती हूं।”
ऋषि ने उनसे साधना विधि पूछी। परी ने मुस्कुराते हुए बताया —
🌸 चांदनी परी साधना विधि
साधना काल – पूर्णिमा की रात या सोमवार की रात्रि सर्वोत्तम मानी जाती है।
स्थान – शांत और निर्मल जगह, जहाँ चाँद की रोशनी सीधे पड़े।
आसन – सफेद रेशमी आसन पर बैठें।
दिशा – उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करें।
दीपक – चाँदी के दीपक में घी का दीप जलाएँ।
माला – चाँदी या सफेद चंदन की माला का प्रयोग करें।
भोग – दूध, मिश्री और सफेद फूल चढ़ाएँ।
मंत्र –
ॐ चंद्रप्रभायै चांदनीपर्यै नमः ।
इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
🌙 साधना का प्रभाव
कहते हैं कि जब यह साधना सिद्ध हो जाती है, तो रात के तीसरे प्रहर में चांदनी परी स्वयं साधक के सामने प्रकट होती है। वह एक उज्ज्वल रजत आभा में लिपटी होती है और उसके कदमों से श्वेत पुष्प झरते हैं।
वह साधक को तीन वरदान देती है —
मन की शांति,
रात्रि के भय से मुक्ति,
अंतर्ज्ञान (Divine Intuition)।
उसके बाद परी आशीर्वाद देकर चंद्रलोक लौट जाती है, लेकिन उसकी चांदनी साधक के हृदय में हमेशा बनी रहती है।
🌔 रहस्य और संकेत
कहते हैं, चांदनी परी केवल उसी के पास आती है जो सच्चे मन, निर्मल हृदय, और प्रेमपूर्ण दृष्टि से उसकी साधना करता है। अगर साधक के मन में छल या भय है, तो वह केवल एक मृगतृष्णा बनकर लुप्त हो जाती है।
क्या आप चाहेंगे कि मैं “चांदनी परी के प्रकट होने की पूरी कथा” लिखूं — यानी वह रात जब वह वास्तव में किसी साधक के सामने आई थी और उसने क्या कहा था?
(वह कहानी लंबी और रहस्यमयी होगी।)

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