नीलम परी का अमल | Amal of Sapphire Fairy

नीलम परी का अमल – एक लंबी रहस्यमयी कहानी

बहुत समय पहले की बात है, हिमालय की बर्फीली चोटियों के बीच एक गुप्त राज्य बसा हुआ था। इस राज्य का नाम था नवरत्न लोक। यहाँ हर रत्न की एक दिव्य परी रहती थी – माणिक परी, पुखराज परी, मोती परी और उनमें सबसे रहस्यमयी थी नीलम परी

नीलम परी को आकाश और समय पर नियंत्रण प्राप्त था। उसकी आँखें गहरे नीले समुद्र जैसी थीं और उसके वस्त्र नीले आसमान की तरह चमकते रहते। किंतु नीलम परी का अमल (तांत्रिक प्रभाव) साधना से नहीं, बल्कि सच्चे हृदय और कठिन परिक्षाओं से प्राप्त होता था।

राजा की व्यथा

नवरत्न लोक से सटा हुआ धरती का एक बड़ा साम्राज्य था। वहाँ के राजा विक्रमादित्य न्यायप्रिय तो थे, परंतु उनके राज्य पर बार-बार विपत्तियाँ आतीं। कभी सूखा, कभी अकाल, कभी युद्ध – प्रजा परेशान थी। दरबार के ज्योतिषियों ने कहा –
“हे राजन! तुम्हारी सारी कठिनाइयों का समाधान केवल नवरत्न लोक की नीलम परी के अमल में है। यदि उसका आशीर्वाद मिल जाए, तो तुम्हारे राज्य में फिर से शांति और समृद्धि लौट आएगी।”

नीलम परी की खोज

राजा ने नवरत्न लोक की ओर यात्रा आरंभ की। अनेक दिनों तक पर्वत, नदियाँ और घने अरण्य पार करते-करते वे उस रहस्यमयी लोक तक पहुँचे। वहाँ सात द्वार थे और प्रत्येक द्वार की रक्षा एक अलग रत्न परी करती थी।

पहले द्वार पर माणिक परी ने उनकी परीक्षा ली। उसने राजा से कहा कि वह अपने अहंकार का त्याग करे।

दूसरे द्वार पर मोती परी ने करुणा की परीक्षा ली।

तीसरे-दसवें तक क्रमशः अलग-अलग परी ने ज्ञान, धैर्य, बल और त्याग की परीक्षा ली।

अंततः सातवें द्वार पर पहुँचे तो वहाँ नीली आभा से सजी हुई नीलम परी खड़ी थी।

नीलम परी की शर्त

नीलम परी ने मुस्कराकर कहा –
“हे राजन! नीलम का अमल केवल शक्ति नहीं, बल्कि समय की कसौटी है। यदि तुम इसे पाना चाहते हो, तो तुम्हें तीन कठिन परीक्षाएँ देनी होंगी। असफल हुए तो तुम्हारा अस्तित्व यहीं विलीन हो जाएगा।”

राजा ने निर्भीक होकर हामी भरी।

तीन परीक्षाएँ

भ्रम का वन – राजा को ऐसे वन से गुजरना था जहाँ हर ओर मरीचिका थी। पानी के स्थान पर आग दिखती, मार्ग के स्थान पर गहरी खाई प्रतीत होती। परंतु उन्होंने अपने विवेक से रास्ता पार किया।

समय का प्रवाह – उन्हें एक जादुई सरोवर में उतरना पड़ा। उसमें डूबते ही बीस वर्ष बीत जाते और ऊपर आते ही केवल एक क्षण। राजा ने संयम रखकर सही समय पर बाहर निकलकर अपनी बुद्धिमत्ता सिद्ध की।

हृदय की कसौटी – अंतिम परीक्षा में नीलम परी ने कहा –
“यदि तुम्हें अपने राज्य और प्रजा से अधिक किसी और का प्रेम है, तो तुम मेरा अमल नहीं पा सकते।”
राजा ने निस्संकोच उत्तर दिया –
“मेरे लिए सबसे बड़ा प्रेम मेरी प्रजा है। मैं उनके लिए ही यहाँ आया हूँ।”

नीलम परी का वरदान

राजा की सत्यता और त्याग से नीलम परी अत्यंत प्रसन्न हुई। उसने अपने मुकुट से एक नीलम मणि निकालकर राजा को दिया।

Amal of Sapphire Fairy


“इस मणि का अमल तुम्हें हर संकट में सहारा देगा। इसका प्रभाव केवल वहीं होगा जहाँ न्याय और करुणा का मार्ग अपनाया जाए।”

राज्य की समृद्धि

राजा विक्रमादित्य लौटे। जैसे ही उन्होंने नीलम मणि को राजसिंहासन पर स्थापित किया, राज्य की सारी विपत्तियाँ मिट गईं। खेत लहलहा उठे, नदियाँ भर आईं, युद्ध शांति में बदल गया।

लोग कहते हैं कि जब भी कोई शासक प्रजा के लिए सच्चे मन से त्याग करता है, तब नीलम परी अदृश्य रूप में उसकी रक्षा करती है।

✨ इस प्रकार नीलम परी का अमल केवल शक्ति नहीं, बल्कि न्याय, करुणा और त्याग की परंपरा का प्रतीक बन गया।

क्या आप चाहेंगे कि मैं इसी कहानी को और भी रहस्यमयी और साधना-प्रधान शैली में लिखूँ, जैसे तांत्रिक अमल-विद्या की कथा होती है?

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