मोहिनी परी साधना | Mohini pari Sadhana a long story

अब मैं आपको “मोहिनी परी साधना” की एक लंबी और रहस्यमयी कहानी सुनाता हूँ, जिसमें साधना, प्रेम, आकर्षण और अलौकिक अनुभव सब जुड़े होंगे।

मोहिनी परी साधना की कहानी

बहुत समय पहले विनीत नाम का एक युवक नगर में रहता था। वह रूपवान था, परन्तु उसके जीवन में प्रेम और अपनापन नहीं था। समाज में वह अकेला था और मन ही मन चाहता था कि कोई ऐसा हो जो उसे सच्चे मन से अपनाए।

एक दिन वह नगर के बाहर जंगल में घूम रहा था। वहाँ उसे एक प्राचीन पीपल के पेड़ के नीचे एक ग्रंथ मिला। ग्रंथ पुराना और रहस्यमय था। उसके पहले पन्ने पर लिखा था –

“मोहिनी परी साधना – यह साधना वही कर सकता है जो निडर, सत्यप्रिय और संयमी हो। साधना सफल होने पर परी प्रकट होती है और साधक का जीवन प्रेम और आकर्षण से भर देती है।”

विनीत का मन रोमांचित हो गया। उसने निश्चय किया कि वह इस साधना को अवश्य करेगा।

साधना की तैयारी

ग्रंथ में वर्णन था कि मोहिनी परी साधना अमावस्या या पूर्णिमा की रात में करनी चाहिए।

साधक को लाल वस्त्र पहनने होंगे।

आसन चंदन या कस्तूरी से मंडित होना चाहिए।

दीपक शुद्ध घी का होना चाहिए।

साधना के स्थान पर गुलाब की खुशबू फैलानी होगी।

सबसे महत्वपूर्ण था – मोहिनी मंत्र का जप। यह जप कम से कम 108 बार करना आवश्यक था।

साधना का प्रारंभ

विनीत ने अमावस्या की रात नदी किनारे साधना स्थल तैयार किया। लाल वस्त्र पहनकर उसने आसन जमाया और मंत्र जपना शुरू किया। वातावरण रहस्यमय होने लगा। आसमान में बादल घिर आए, हवाएँ सरसराने लगीं, और दीपक की लौ बार-बार काँप रही थी।

धीरे-धीरे एक मधुर गंध फैलने लगी – मानो गुलाब और चंपा की खुशबू मिलकर वातावरण को सुगंधित कर रही हो।

मोहिनी परी का प्रकट होना

अचानक उसके सामने एक चमकदार आभा प्रकट हुई। उस आभा से एक अद्भुत रूपवती स्त्री बाहर आई, जिसकी आँखें कमल जैसी और मुस्कान चाँदनी जैसी थी। यही थी – मोहिनी परी।

वह मधुर स्वर में बोली –
“विनीत, तूने मुझे साधना से बुलाया है। लेकिन क्या तेरा हृदय सच्चा है? क्या तू मुझे केवल आकर्षण और वासना के लिए चाहता है, या तेरे मन में कुछ और है?”

परीक्षा

विनीत ने हाथ जोड़कर कहा –
“हे देवी, मैं आपके सौंदर्य से मोहित अवश्य हूँ, परंतु मैं केवल अपने अकेलेपन को मिटाना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि मेरे जीवन में प्रेम और अपनापन हो। यदि आप मुझे स्वीकारेंगी तो मैं अपने जीवन को पवित्र बनाऊँगा।”

परी ने उसकी आँखों में देखा। वहाँ कोई छल या झूठ नहीं था।

फिर मोहिनी परी मुस्कुराई और बोली –
“मैं तेरे जीवन का हिस्सा बनूँगी, परंतु शर्त यह है कि तू हमेशा सत्य मार्ग पर चलेगा, स्त्रियों का आदर करेगा और अपने प्रेम को कभी अपमानित नहीं करेगा।”

विनीत ने प्रणाम किया और वचन दिया।

वरदान

मोहिनी परी ने अपने हाथ से उसे एक कमल पुष्प दिया और कहा –
“जब तक यह कमल तेरे पास रहेगा, मैं तेरे जीवन में रहूँगी। तुझे कभी अकेलापन नहीं सताएगा। तेरा आकर्षण और तेज़ इतना बढ़ेगा कि लोग तुझसे खिंचे चले आएँगे।”

इसके बाद वह आभा में विलीन हो गई।

परिणाम

विनीत का जीवन बदल गया। अब लोग उसे बेहद पसंद करने लगे। उसका आकर्षण इतना बढ़ गया कि जहाँ भी जाता, लोग उसके पास रहना चाहते। लेकिन उसने मोहिनी परी से किया हुआ वचन निभाया – उसने कभी किसी का अपमान नहीं किया, प्रेम को सच्चाई और सम्मान के साथ जिया।

लोग कहते हैं कि उसकी मृत्यु के बाद भी उसके पास वही कमल पुष्प पाया गया, जिसमें हल्की-सी सुगंध और प्रकाश था।

Mohini pari Sadhana a long story


👉 यह थी मोहिनी परी साधना की रहस्यमयी कहानी – जिसमें सच्चे प्रेम, नीयत और संयम रखने वाले को मोहिनी परी का सान्निध्य प्राप्त होता है।

क्या आप चाहेंगे कि मैं अगली बार मोहिनी परी साधना की वास्तविक विधि और मंत्र (जैसे तांत्रिक ग्रंथों में बताए जाते हैं) भी विस्तार से बता दूँ?

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