बहुत समय पहले, परी की कहानी: जादुई फूलों के घर की अद्भुत यात्रा' एक सुंदर और हरे-भरे जंगल के बीचों-बीच परियों का एक रहस्यमयी गाँव था। इस गाँव में हर परी के पास अपनी एक खास जादुई ताकत थी। लेकिन इन सबके बीच, छोटी परी आरा अपनी अलग ही दुनिया में खोई रहती थी। उसकी आँखें हमेशा आसमान में कुछ अनोखा खोजने में लगी रहतीं।
एक दिन, जंगल में हल्की-हल्की खुशबू फैल गई। यह खुशबू इतनी मोहक थी कि हर कोई इसे महसूस कर सकता था। आरा ने महसूस किया कि खुशबू किसी खास दिशा से आ रही है। उसने अपनी दोस्त लूना से कहा, "चलो, देखते हैं यह खुशबू कहाँ से आ रही है।"
लूना और आरा ने अपनी चमचमाती पंखों को फैलाया और खुशबू की ओर उड़ने लगीं। रास्ते में उन्होंने रंग-बिरंगे फूलों के बगीचे, चमकीले झरने और गीत गाती चिड़ियाओं को देखा।
आखिरकार, वे एक अनोखी जगह पहुँची, जहाँ फूलों से बना एक सुंदर घर था। उस घर की दीवारें गुलाब की पंखुड़ियों से बनी थीं और छत सूरजमुखी के फूलों से। जैसे ही वे अंदर गईं, उन्होंने देखा कि घर के बीचों-बीच एक बड़ा चमकीला फूल खिला हुआ था। वह फूल इतना बड़ा और सुंदर था कि उसकी चमक पूरी जगह को रोशन कर रही थी।
फूल के पास एक बूढ़ी परी बैठी थी, जो बेहद दयालु लग रही थी। उसने आरा और लूना को देखकर कहा, "मैं फ्लोरा हूँ, जादुई फूलों की संरक्षक। यह फूल हर सौ साल में खिलता है और अपनी ऊर्जा से पूरे जंगल को जीवन देता है। लेकिन अब यह फूल अपनी शक्ति खो रहा है। क्या तुम मेरी मदद करोगी?"
आरा और लूना ने एक स्वर में कहा, "हमें बताइए कि हमें क्या करना है।"
फ्लोरा ने उन्हें एक छोटा सा जादुई सितारा दिया और कहा, "इस सितारे को जंगल के तीन खास स्थानों पर ले जाओ—नीला झरना, सुनहरी घाटी, और रेनबो गुफा। वहाँ इसे शक्ति मिलेगी, और यह फूल फिर से खिल उठेगा।"
आरा और लूना ने हिम्मत और उत्साह से अपनी यात्रा शुरू की। रास्ते में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा—घने बादलों के तूफान, गुफा के रहस्यमयी रास्ते, और समय-समय पर आते डरावने जीव। लेकिन उनकी दोस्ती और जादुई ताकत ने हर चुनौती को पार कर लिया।
जब उन्होंने तीनों जगहों पर सितारे को शक्ति दी और वापस फूलों के घर पहुँचीं, तो जादुई फूल ने एक बार फिर चमकना शुरू कर दिया। पूरे जंगल में रोशनी फैल गई, और हर जीव-जंतु खुशी से झूमने लगे।
फ्लोरा ने आरा और लूना को धन्यवाद दिया और कहा, "तुम्हारी बहादुरी और दयालुता ने जंगल को नया जीवन दिया है। अब से तुम दोनों इस फूल की संरक्षक हो।"
आरा और लूना खुशी-खुशी अपने गाँव लौटीं, लेकिन उनके दिल में हमेशा फूलों के उस जादुई घर और उसकी अद्भूत जगहों पर टिकी रह जाती हैं !
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