बहुत समय पहले की बात है,सोने का हंस और परी' एक घने जंगल के पास एक छोटा सा गांव था। इस गांव में एक गरीब किसान अपने तीन बेटों के साथ रहता था। किसान मेहनती था लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।
एक दिन, किसान ने अपने बेटों से कहा, "अगर हम इस गरीबी से बाहर निकलना चाहते हैं, तो हमें कोई अनोखा उपाय खोजना होगा।" बेटों ने उसकी बात मानी और जंगल में कुछ खोजने निकल पड़े।
जंगल के बीचों-बीच उन्हें एक चमचमाता सोने का हंस दिखाई दिया। हंस इतना सुंदर था कि उसकी चमक सूरज की किरणों को भी फीका कर देती थी। सबसे बड़े बेटे ने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने हंस को छुआ, वह उसकी जगह से चिपक गया।
फिर दूसरा बेटा मदद करने गया, लेकिन जैसे ही उसने अपने भाई को छुड़ाने की कोशिश की, वह भी चिपक गया। आखिरकार, सबसे छोटा बेटा, जो दिल का साफ और दयालु था, आगे बढ़ा। उसने हंस से माफी मांगी और प्यार से पूछा, "हे सुंदर हंस, क्या मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ?"
हंस ने एक जादुई आवाज में कहा, "तुमने मुझसे बिना स्वार्थ के मदद का प्रस्ताव दिया, इसलिए मैं तुम्हारी मदद करूंगा। मुझे एक परी ने श्राप दिया था कि जब तक कोई सच्चे दिल से मेरी मदद नहीं करेगा, मैं इस जंगल में फंसा रहूंगा। अब तुम मुझे छुड़ा सकते हो।"
छोटे बेटे ने हंस को सहलाया, और तभी वहां जादुई चमक से एक सुंदर परी प्रकट हुई। परी ने कहा, "तुम्हारे दयालु और निस्वार्थ स्वभाव ने मुझे मुक्त कर दिया। मैं तुम्हें आशीर्वाद देती हूँ।"
परी ने सोने का हंस छोटे बेटे को उपहार में दिया और कहा, "यह हंस तुम्हारे परिवार को कभी भूखा नहीं रहने देगा। इसकी हर पंख से सोने के सिक्के निकलेंगे।"
छोटा बेटा अपने भाइयों को छुड़ाकर गांव लौट आया। उस दिन से उनका जीवन बदल गया। अब वे न केवल अमीर थे, बल्कि दयालुता और प्यार के महत्व को भी समझ गए थे।
सीख:
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्चा दिल और निस्वार्थ भाव हमेशा महान फल देता है।
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