बहुत समय पहले की बात है, परियों की कहानी: जादुई दुनिया की यात्रा' एक घने जंगल के बीचो-बीच एक जादुई दुनिया थी, जिसे लोग "परी लोक" कहते थे। इस दुनिया में हर चीज़ अद्भुत थी—चमकते हुए पेड़, इंद्रधनुषी झरने और रंग-बिरंगी तितलियां। इस जादुई दुनिया में कई परियां रहती थीं, और उनमें से एक थी परी "चमेली"।
चमेली बहुत दयालु और समझदार परी थी। उसका सबसे खास गुण था कि वह जहां जाती, वहां खुशियां फैला देती। एक दिन परी लोक में एक बड़ी समस्या आ गई। जादुई झरने का पानी अचानक सूखने लगा, और परी लोक के सभी फूल मुरझाने लगे।
परी लोक की रानी ने सभी परियों को बुलाया और कहा, "हमें किसी तरह इस झरने को बचाना होगा। यह झरना हमारे लोक की जान है।" तब चमेली ने हिम्मत दिखाई और कहा, "मैं इस समस्या का हल ढूंढूंगी।"
चमेली ने अपनी जादुई छड़ी उठाई और जंगल के सबसे गहरे कोने में गई। वहां उसे एक बूढ़ा पेड़ मिला, जो बोल सकता था। बूढ़े पेड़ ने कहा, "इस झरने का पानी एक जादुई पत्थर से बहता है। लेकिन वह पत्थर एक दुष्ट दानव ने चुरा लिया है। अगर तुम्हें पत्थर वापस लाना है, तो तुम्हें अपनी बुद्धिमानी और साहस दिखाना होगा।"
चमेली ने बूढ़े पेड़ का धन्यवाद किया और दुष्ट दानव की गुफा की ओर चल पड़ी। गुफा में घुसते ही दानव ने उसे रोक लिया और गरजते हुए बोला, "तुम यहां क्यों आई हो?"
चमेली ने हिम्मत से जवाब दिया, "मैं जादुई पत्थर वापस लेने आई हूं। तुम इसे अपने पास नहीं रख सकते।" दानव हंस पड़ा और बोला, "अगर तुम मेरी तीन पहेलियां सुलझा पाई, तो मैं पत्थर लौटा दूंगा।"
दानव ने पहली पहेली पूछी, "ऐसा क्या है जो बिना पंख के उड़ सकता है?" चमेली ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "हवा।"
दूसरी पहेली थी, "ऐसा कौन सा पानी है जो पीने से बुझता नहीं?" चमेली ने कहा, "समुद्र का पानी।"
आखिरी पहेली थी, "ऐसा क्या है जो जितना बांटोगे, उतना ही बढ़ेगा?" चमेली ने जवाब दिया, "खुशी।"
दानव हैरान रह गया। उसने ईमानदारी से जादुई पत्थर चमेली को लौटा दिया। चमेली ने पत्थर को झरने में रखा, और पानी फिर से बहने लगा। पूरे परी लोक में खुशियां लौट आईं। रानी ने चमेली की बहादुरी की तारीफ की और उसे "परी लोक की सबसे बहादुर परी" का खिताब दिया।
तब से परी लोक फिर से खुशहाल हो गया, और चमेली हर किसी की प्रिय परी बन गई।
सीख: बुद्धिमानी, साहस और दयालुता से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है।
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