बहुत समय पहले, सोने का हंस: एक अद्भुत परी कथा की यात्रा' एक छोटे से गाँव में एक दयालु युवक रहता था, लेकिन वह बहुत गरीब था, जिसका नाम रामू था। वह अपनी मां के साथ एक छोटे से घर में रहता था और लकड़ियां काटकर अपना गुजारा करता था।
एक दिन जंगल में लकड़ियां काटते हुए, रामू ने एक बूढ़े साधु को पेड़ के नीचे बैठा देखा। साधु भूखे और थके हुए थे। रामू ने बिना किसी स्वार्थ के अपने भोजन का हिस्सा उन्हें दे दिया। साधु ने उसकी उदारता से प्रसन्न होकर उसे एक वरदान दिया। उन्होंने कहा, "तुम्हारे जीवन में एक अद्भुत घटना घटने वाली है। इस जंगल के सबसे बड़े पेड़ के पास जाओ, वहाँ तुम्हें एक जादुई हंस मिलेगा। वह हंस सोने के पंख देगा, जो तुम्हारी सभी परेशानियों को दूर करेगा।"
रामू साधु के निर्देशों का पालन करते हुए जंगल के सबसे बड़े पेड़ तक पहुँचा। वहाँ उसने एक चमचमाते सोने का हंस देखा। हंस ने रामू को देखा और कहा, "तुम्हारे अच्छे कर्मों के कारण मैं तुम्हारी मदद करने आया हूँ। हर बार जब तुम्हें ज़रूरत होगी, मैं तुम्हें सोने का पंख दूँगा, लेकिन इसे सिर्फ भलाई के कार्यों के लिए उपयोग करना।"
रामू ने हंस का आभार व्यक्त किया और अपने गाँव लौट आया। वह हंस के दिए पंखों को बेचकर अपनी माँ और गाँव के अन्य जरूरतमंद लोगों की मदद करने लगा।
लेकिन जैसे-जैसे यह खबर फैली, एक लालची जमींदार को सोने के हंस के बारे में पता चला। उसने हंस को पकड़ने और उसे हमेशा के लिए अपने पास रखने की योजना बनाई। जमींदार ने अपने नौकरों को रामू के घर भेजा, लेकिन हंस ने अपनी जादुई शक्ति का उपयोग कर उन्हें भागने पर मजबूर कर दिया।
हंस ने रामू से कहा, "लालच और स्वार्थ के सामने भलाई और सच्चाई हमेशा जीतती है।" इस घटना के बाद, जमींदार को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने रामू से माफी मांगी।
रामू और सोने का हंस गाँव के लोगों के लिए एक प्रेरणा बन गए। हंस ने रामू की दया और निस्वार्थता के कारण हमेशा उसकी मदद की। इस तरह, रामू और उसकी माँ ने एक खुशहाल और संतोषजनक जीवन जिया।
यह कहानी हमें सिखाती है कि दया, निस्वार्थता, और अच्छे कर्म हमेशा रंग लाते हैं, और लालच से केवल विनाश ही होता है।
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