बहुत समय पहले की बात है, सोने का हंस और परी(एक प्रेरणादायक कहानी) एक छोटे से गाँव में एक गरीब लड़का रामू अपनी माँ के साथ रहता था। रामू बहुत मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसकी गरीबी के कारण उसे बहुत संघर्ष करना पड़ता था।
एक दिन, रामू जंगल में लकड़ियां काटने गया। जैसे ही वह पेड़ के नीचे आराम करने बैठा, उसने पास के तालाब में एक चमचमाता हंस देखा। वह हंस सोने का बना हुआ था! हंस ने रामू को देखकर कहा,
"तुम ईमानदार और नेकदिल हो। मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ। हर दिन मैं तुम्हें एक सोने का पंख दूंगा, लेकिन याद रखना, इसे लोभ के लिए इस्तेमाल मत करना।"
रामू ने हंस का धन्यवाद किया और घर जाकर सोने का पंख अपनी माँ को दिया। उस पंख से वे धीरे-धीरे अपनी ज़रूरतें पूरी करने लगे।
कुछ महीनों बाद रामू ने देखा कि गाँव के कुछ लोग परेशान हैं क्योंकि उनके पास खाने और रहने के लिए कुछ नहीं है। रामू ने सोने के पंख से अर्जित धन का एक हिस्सा उनकी मदद के लिए दिया। यह देखकर सोने के हंस को बहुत खुशी हुई।
एक दिन, गाँव में एक जादुई परी आई। उसने रामू की उदारता और ईमानदारी के बारे में सुना था। परी ने रामू से कहा,
"तुमने दूसरों की मदद करके यह साबित कर दिया कि असली खुशी दूसरों के जीवन में खुशियाँ लाने में है। मैं तुम्हें एक वरदान देती हूँ।"
परी के जादू से रामू का घर सोने के महल में बदल गया, और अब उनके पास जरूरत से ज्यादा धन-संपत्ति थी। लेकिन रामू ने इसे अपने तक सीमित नहीं रखा। उसने पूरे गाँव के लोगों की मदद की और गाँव को एक सुंदर जगह बना दिया।
कहानी की सीख:
असली धन दौलत में नहीं, बल्कि दूसरों की मदद करने और नेकदिल होने में है। अगर हम दूसरों का भला करते हैं, तो जीवन हमें अपनी तरह से पुरस्कृत करता है।
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