परी सिंड्रेला की कहानी: संघर्ष और विजय की एक काल्पनिक गाथा | fairy tale cinderella | pari's lifestyle | Fairy Tales in Hindi | Moral Stories | jadui pari | Fairy Tales | Hindi | PARI KI KAHANI | fairytale story | HINDI STORIES |Hindi Kahani

बहुत समय पहले की बात है, सिंड्रेला की कहानी' एक छोटे से राज्य में सिंड्रेला नाम की एक सुंदर, दयालु और मेहनती लड़की रहती थी। उसके पिता ने दूसरी शादी की थी, लेकिन सौतेली माँ और उसकी दो बेटियाँ बहुत ही निर्दयी और स्वार्थी थीं। सिंड्रेला को अपने ही घर में नौकरानी की तरह रहना पड़ता था।

संघर्ष की शुरुआत

सिंड्रेला का सारा दिन काम में ही बीतता—घर की सफाई, खाना बनाना, और सौतेली माँ और बहनों की हर छोटी-बड़ी बात का ख्याल रखना। उसकी मेहनत और दयालुता के बावजूद उसे केवल अपमान और तिरस्कार मिलता। सिंड्रेला को बाहर जाने और अपनी जिंदगी जीने का कोई मौका नहीं मिलता।

राजकुमार का महल और आमंत्रण

एक दिन, राज्य के राजमहल में एक बड़ा उत्सव हुआ। राजकुमार ने पूरे राज्य की युवतियों को एक भव्य नृत्य समारोह में आमंत्रित किया, ताकि वह अपने लिए एक जीवनसाथी चुन सके। सिंड्रेला की सौतेली माँ और उसकी बहनें उत्सव में जाने के लिए तैयार हो गईं, लेकिन उन्होंने सिंड्रेला को जाने से रोक दिया।

सिंड्रेला अपने कमरे में बैठकर रोने लगी। तभी उसकी मदद के लिए उसकी परी गॉडमदर (परी माँ) प्रकट हुई। परी ने जादू की छड़ी से सिंड्रेला को एक खूबसूरत गाउन, चमचमाते जूते, और एक शानदार घोड़ा-गाड़ी दी। लेकिन उसने एक चेतावनी दी: जादू केवल आधी रात तक चलेगा, इसलिए उसे समय से पहले वापस लौटना होगा।

सपनों की रात

सिंड्रेला महल पहुँची और उसकी खूबसूरती ने सभी का ध्यान खींच लिया। राजकुमार ने उसे देखा और तुरंत उसे नृत्य के लिए आमंत्रित किया। दोनों ने रात भर बातें कीं और नृत्य का आनंद लिया। लेकिन जैसे ही घड़ी ने बारह बजने का संकेत दिया, सिंड्रेला घबरा गई और जल्दी से महल से बाहर भाग गई। भागते समय उसका एक कांच का जूता सीढ़ियों पर गिर गया।

विजय की गाथा

अगले दिन, राजकुमार ने पूरे राज्य में उस लड़की की तलाश शुरू की, जिसके पैर में वह जूता फिट होगा। सभी ने प्रयास किया, लेकिन जूता किसी के पैर में नहीं आया। अंततः राजकुमार सिंड्रेला के घर पहुँचा। सौतेली बहनों ने भी जूता पहनने की कोशिश की, लेकिन असफल रहीं।

Cinderella FairyTale

जब सिंड्रेला को बुलाया गया, तो उसकी सौतेली माँ ने उसे रोकने की कोशिश की। लेकिन परी माँ के आशीर्वाद से सिंड्रेला राजकुमार के सामने आई, और जूता उसके पैर में फिट हो गया। राजकुमार ने तुरंत उसे अपनी रानी बनाने का वचन दिया।

खुशहाल अंत

सिंड्रेला का संघर्ष खत्म हुआ, और वह महल में रहने लगी। उसने अपनी दयालुता और साहस से सबका दिल जीत लिया। राजकुमार और सिंड्रेला ने खुशी-खुशी अपनी जिंदगी बिताई, और यह कहानी सिखाती है कि सच्चाई और दया हमेशा जीतती हैं।

"जहाँ इच्छा है, वहाँ राह है।"

Post a Comment

0 Comments